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विलंभ अभी हुआ नहीं, लक्ष्य की प्राप्ति को उठा पग ब

विलंभ अभी हुआ नहीं, लक्ष्य की प्राप्ति को
उठा पग बना डगर, विजय के एहसास को
कल मिली पराजय, क्यूं बनी है व्यथा आज को
कर फिर एक कोशिश, विजय उन्माद को ।

जीव जीवित कर्म से, निश्छल मन विश्वास से
पाप की तो व्यथा निराली, जीता सिर्फ स्वार्थ को
मन में रख लक्ष्य अडिग, सरयू भी निगलती पहाड़ को 
तू व्यथा का सारथी नहीं, नहीं बना तू प्रलाप को ।

धैर्य है, सीख है, पथ खुला नये आगाज को
तेज है, कीर्ति है, मंजिल बनी नए अंजाम को 
है समुंदर में बना साहिल भी, कुछ ठहराव को
थक जा अगर तू , ठहर एक पल
याद कर संघर्ष को, फिर निकल रचने नए इतिहास को
विलंभ अभी हुआ नहीं, लक्ष्य की प्राप्ति को
उठा पग बना डगर, विजय के एहसास को... mood
विलंभ अभी हुआ नहीं, लक्ष्य की प्राप्ति को
उठा पग बना डगर, विजय के एहसास को
कल मिली पराजय, क्यूं बनी है व्यथा आज को
कर फिर एक कोशिश, विजय उन्माद को ।

जीव जीवित कर्म से, निश्छल मन विश्वास से
पाप की तो व्यथा निराली, जीता सिर्फ स्वार्थ को
मन में रख लक्ष्य अडिग, सरयू भी निगलती पहाड़ को 
तू व्यथा का सारथी नहीं, नहीं बना तू प्रलाप को ।

धैर्य है, सीख है, पथ खुला नये आगाज को
तेज है, कीर्ति है, मंजिल बनी नए अंजाम को 
है समुंदर में बना साहिल भी, कुछ ठहराव को
थक जा अगर तू , ठहर एक पल
याद कर संघर्ष को, फिर निकल रचने नए इतिहास को
विलंभ अभी हुआ नहीं, लक्ष्य की प्राप्ति को
उठा पग बना डगर, विजय के एहसास को... mood
sagarporwal1564

Sagar Porwal

New Creator

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