धोखे लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे बांधनी नहीं आती “ग़ालिब” हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है....🙏 मिर्ज़ा ग़ालिब के 221वें जन्मदिवस पर.....मिर्ज़ा ग़ालिब की जयंती पर, उन्ही द्वारा रचित...🌿 उम्र भर हम भी गलती करते रहे ग़ालिब धूल चेहरे पे थी और हम आईना साफ़ करते रहे....😎 #Techofmuniyaji, #Mirzagalib