तुम कही खो न जाओ रिश्तों में कहीं भूल न जाओ ना कहो तुम ऐसा जैसे बंदिशें बढ़ने लगी हैं बस करो अब न सताओ उलझने न बढ़ाओ समझो मेरी बात तुम भी मेरे मन के जज्बात तुम भी आहटों को जान न पाओ बस मुझे पहचान जाओ ©आगाज़ #navratri amit pandey Kamaal Husain