कब तक सड़को पर ये कैंडल,मार्च निकाले जायेेंगे,, कब तक जस्टिस फार वाले कैं,पेन चलाये जायेंगे,, डोली वाले कांधे बोलो कब तक अर्थी ढ़ोएंगे और पिता जी न्याय हेतु कानून के आगे रोयेंगे न्याय मिलेगा इक को जब तक, देर बहुत ही हो जाएगी जब तक केस चलेगा तब तक,, दूसरी भी खो जाएगी,, खूँ की छींटे पड़ी हुई हैं,,जाने कितनी सड़को पर,, पाबंदी सब हैं लड़की पर,, नकेल नही है लड़को पर,,, पहली नजर में केवल दोष,लड़की का ही दिखता है,, ऐ दुनिया वालो बतलाओ, य कैसी मानसिकता है,, आरोप लगे थे कपड़ो पर,, आगे हाल सुनाती क्या,, माँ चार साल की बेटी को,भी साड़ी पहनाती क्या, वक्त चाहता है अब खुद का,,शस्त्रों से श्रंगार करो,, बन जाओ दुर्गा चंडी तुम,,दुष्टों का संघार करो,, कैेंडेल मार्च की जगह ये,कैंपेन चलाया जाये,, रेपिस्टों को पेट्रोल डाल,के जिंदा जलाया जाये,, सर्वाधिकार सुरक्षित ©®कवि सौरभ साहिल लखनऊ उत्तर प्रदेश 8090194867