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यही सोचा किये हम रात भर आहिस्ता-आहिस्ता मिरे कमरे

यही सोचा किये हम रात भर आहिस्ता-आहिस्ता
मिरे कमरे में भी उतरे सहर आहिस्ता-आहिस्ता 

शिकस्ता ख़्वाब की धरती प हम ख़ानाबदोशों को
बनाना है नयी साँसों का घर आहिस्ता-आहिस्ता 

इसी उम्मीद में चिड़िया सजाये शाख़ पर तिनके
हरा हो जाएगा सूखा शजर आहिस्ता-आहिस्ता 

तुम्हारी याद के गुम्बद से टकराकर गये दिन की
सदाएँ आ रहीं हैं लौटकर आहिस्ता-आहिस्ता 

न जाने उम्र के सागर के किस टापू प मर जाए
निकल आए जवानी के भी पर आहिस्ता-आहिस्ता

©Adarsh Bajpai #Moon #hindi
यही सोचा किये हम रात भर आहिस्ता-आहिस्ता
मिरे कमरे में भी उतरे सहर आहिस्ता-आहिस्ता 

शिकस्ता ख़्वाब की धरती प हम ख़ानाबदोशों को
बनाना है नयी साँसों का घर आहिस्ता-आहिस्ता 

इसी उम्मीद में चिड़िया सजाये शाख़ पर तिनके
हरा हो जाएगा सूखा शजर आहिस्ता-आहिस्ता 

तुम्हारी याद के गुम्बद से टकराकर गये दिन की
सदाएँ आ रहीं हैं लौटकर आहिस्ता-आहिस्ता 

न जाने उम्र के सागर के किस टापू प मर जाए
निकल आए जवानी के भी पर आहिस्ता-आहिस्ता

©Adarsh Bajpai #Moon #hindi