मेरे टूटे दिल की, दवा कौन करेगा। बहुत बेचैन हूँ मैं, दुआ कौन करेगा। आता नहीं मुझे, ये हालात संभालना। गर बिखरुं जो मैं, तो वफ़ा कौन करेगा। मेरे दर्द की गवाही, ये दिल न दे सकेगा। तकलीफ में हूँ, अब ये नशा कौन करेगा। मैं पूछता हूँ तुमसे, क्या ये मुमकिन है। पर्दा करोगी मुझसे, तो हया कौन करेगा। खुद में ही घुट के, मर न जाऊँ मैं कहीं। यूँ ही जफ़ा करोगी, तो ख़ता कौन करेगा। ♥️ Challenge-542 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।