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बड़े दिन हुए कुछ कहे न जाने कहाँ वो पल ठहर गया गुफ़्

बड़े दिन हुए कुछ कहे
न जाने कहाँ वो पल ठहर गया
गुफ़्तगू बेइन्तहां होती थी
वक़्त कितना आगे निकल गया
वो दिन भी क्या दिन थे
हार शाम कुछ खास होती थी
यारों की जमघट 
और रात भर बात होती थी
किस्से कहानियों का दौर थम गया
न जाने कहाँ वो वक़्त ठहर गया।

©Rajiv Kumar Singh #Life #Dosti 

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बड़े दिन हुए कुछ कहे
न जाने कहाँ वो पल ठहर गया
गुफ़्तगू बेइन्तहां होती थी
वक़्त कितना आगे निकल गया
वो दिन भी क्या दिन थे
हार शाम कुछ खास होती थी
यारों की जमघट 
और रात भर बात होती थी
किस्से कहानियों का दौर थम गया
न जाने कहाँ वो वक़्त ठहर गया।

©Rajiv Kumar Singh #Life #Dosti 

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