हर रोज नया दिन नया लम्हा हजारो ख्वाइशे जी लेना चाहता है ये दिल, ना मायूसियो के अंधेरे में डूबना चाहता है न तो सिर्फ उजालो में जीना, दिल तो बस पंछी बनके बेपरवाह धडकना चाहता है, यूं उल्ज़े हुए है कुछ किस्से जो बेवजह ही दिलको परेशान कर बैठे है, कुछ उम्मीदे जगा बैठा है जो हर दिन नया करने की दौड़ में लगा रहेता नादान सा दिल, क्या चाहता है अपने से पता नहीं पर गलतियाँ बहुतसी कर बैठा है दिल, और यूँही कीमत चुकती है मसुमसी ये आँखे, लेकिन नादानसा है मेरा ये दिल बिचारा... Dh... #Dh...