प्रेम और प्रार्थना जिस प्रकार भूगर्भ से निकला हीरा, प्रारम्भ में अशुद्धियों के कारण विषाक्त होता है, उसी प्रकार प्रेम में अनुभवहीन अशुद्धियों को यदि ज्ञान और समर्पण के द्वारा समाप्त किया जाए तो, प्रेम स्वयं ही प्रार्थना बन जाता है । #yqdidi #हिंदीqoutes #प्रेम #प्रार्थना #विष्णुप्रिया