तुम्हारी बे-रुख़ी का सबब तो बताइए दिल की तकलीफ़ को ग़म का समंदर न बनाइए, जुदा हुई हंसी को अपने लबों पर लाइए ख़ता मेरी बख़्शे पैनी निगाह में थोड़ी इल्तिफ़ात दिखाइए, वक्त की कमी पर बेवफ़ाई का इल्ज़ाम सर-ए-आम न लगाइए लग़्ज़िश-ए-बशर पर ज़रा गौर फरमाइए, फुर्सत में ही अपना फ़ैसला बताइए, कैद में मोहब्बत-ए-इबादत में तुम्हारी रहें बस यही सज़ा सुनाइए। ♥️ Challenge-992 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।