अनुशीर्षक चांदनी के जरिए चांद को छूके जैसे गंगाजल शीतल हो जाता है वैसे ही हवाएं जब तुम से रूबरू होकर फिजा में घुलती होंगी तब क्या कहेंगी दिशाएं