खुद से बिछड़े हुए जमाना हुआ तू इस तरह से मेरे ध्यान में है मैं ना लैला, ना तू मजनू, ना शीरी, ना फरान पर ना उतरा नशा वो जो तेरी मुस्कान में है ज़िन्दगी तर बतर हो गई ऐसे तिनका उड़ता जैसे तूफ़ान में है इस तरह से उदास रहते है जैसे बैठे किसी शमशान में है है गुज़ारिश कि लौट मत आना बस एक लाश ही रहती इस दिल ए मकान में है भूल जाना कि हम है भूलाए जाने के लिए आज से हम एक दूजे से बहुत अनजान से है..... #bas Yun hi.......