रुक रुक के मैं चलता हूँ, सम्भल सम्भल के अब कदम रखता हूँ तजुरबा खुब मिला हैं इस जीवन मे अब कुछ भी खोने से डरता हूँ. रफ़्तार भले मेरी अब धीमी हैं लेकिन होसला अब भी पाने की रखता हूँ क्या हुआ गिरता-परता मैं रहता हूँ लेकिन रुकता नहीं कभी,चलता रहता हूँ. चोट भले खाई है मैने कई दफ़ा लेकिन गिरने से तब भी नहीं डरता हूँ हारी हैं मैने कई बाज़ी ज़िन्दगी मे अपनी लेकिन लड़ने से अब भी नहीं डरता हूँ. मोहब्बत मे भी हार मिली मुझे लेकिन भरोसा अब भी मै करता हूँ दिल टूटा भले हज़ार दफ़ा मेरा तब भी शिदत से हि मोहब्बत करता हूँ. -vikash_my word📝 रुक रुक के मैं चलता हूँ, सम्भल सम्भल के अब कदम रखता हूँ तजुरबा खुब मिला हैं इस जीवन मे अब कुछ भी खोने से डरता हूँ. रफ़्तार भले मेरी अब धीमी हैं लेकिन होसला अब भी पाने की रखता हूँ क्या हुआ गिरता-परता मैं रहता हूँ