वो सबक ही क्या जब सीखे ही नही। वो बरसात ही क्या जब भीगे ही नही। कभी यादों में वक़्त गुज़रा, कभी डरते रहे फ़िज़ूल.. वो ज़िन्दगी ही क्या जब जीते ही नही।। सोचा तुम्हें बुलाएं,बिठायें, समझाएं मगर याद आया तूम तो चाय पीते ही नही।। #chay_bina_chain_kahaa