डूबने का शौंक नहीं बस कश्ती ने ही साथ छोड़ दिया हवाओं का रुख इतना तेज़ था कि बस साहिल तक पहुँचने का मैनें इरादा ही छोड़ दिया,,,,, बड़ा फक्र था अपने जज़्बातों और जज़्बे पर नहीं मालूम था कि किस्मत ने मेरी ओर अब मुस्कुराना ही छोड़ दिया,,,,, बहुत बड़े नहीं छोटे-छोटे अरमान थे नन्ही कश्ती ने झेले बड़े-बड़े तूफ़ान थे अब बीच हूँ मझधार में माझी ने ही ख़ुद चप्पू डुबो दिया,,,,, अब कोई आस नहीं जीवन से इक क़लम थी ही थी जो बयां कर देती थी हाल ए दिल पर अब तो इसने भी मेरा साथ छोड़ दिया,,,,,,, #poojamehrapoetry #Akhiri_shabd