मुंस्कुराईए, आप इक्कीसवें साल में कदम रख लिए हैं ... न दिन बदले न रात बदली ना ही बदला कोई मौसम और लोग कह रहे हैं साल बदल गया.... नए साल की कड़कड़ाती ठंड , रिस्ते ढकी थीं सफेद कोहरे से.... और मैं कंपकपाता लिपटा था.... अपनी कम्बल की गर्म दायरे में सहमा ... 🤔 वक्त का फेर है साहब.. वरना मैने कभी अपने हथेलियों में टूटे फूटे नालायक रेखाओं को भी .. कभी अपनी हथेलियों से गिरने नहीं दिया था .🤔 जनता हूँ तुम भी मगरूर हो हम भी मगरूर हैं ...... चले आओ करीब फिर , तुम मेरी कसम तोड़ देना हम तुम्हारी कसम तोड़ देंगें....... मुंहब्बत की तलाश में निकले हो तुम अरे ओ पगली .... मुंहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद करना हो... ऐ नया साल जरा सुन ले मेरी बात .... तू नया है तो दिखा सुबह नई शाम नई..... वरना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई........ 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey मुंस्कुराईए, आप इक्कीसवें साल में कदम रख लिए हैं ... न दिन बदले न रात बदली ना ही बदला कोई मौसम और लोग कह रहे हैं