कभी कभी जब बुनता हूँ खुद को तेरे रंगों में जुगनू बन कर उड़ता हूँ में बेबाक पतंगों में खिली खिली सी धूप सी तू मुझ में मिल जाती है साँसों की भी सरगम में मरहम सी सील जाती है लहरें बन कर उठता हूँ मैं नायाब उमंगों में कभी कभी जब बुनता हूँ खुद को तेरे रंगों में तू ख़्वाबों में तारी होती है कायनात सारी होती है जैसे सब कुछ जीत लिया पर तुझसे हारी होती है फ़ाल्गुन बन कर सजता हूँ मैं बजते ताल मृदंगों में कभी कभी जब बुनता हूँ खुद को तेरे रंगों में ©Mo k sh K an #उदासियाँ_the_journey #mkpikb . #mokshkan #colours #kites #Happiness #bright