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थपकियां है मिल रहीं किरणों की नेह से सिंचित भूमि म

थपकियां है मिल रहीं किरणों की
नेह से सिंचित भूमि में,

आशाओं की किरण पुंज बिखेरे
है प्रतीत होता एक मुखौटा

कहीं रुदन अवसाद से ग्रस्त हैं तो
कहीं ले रहा कोई खोई अंगड़ाई ,

 आनंदित हो उठे सब इसी में
पनपती कमियां तलाशती है तो
शतरंगी किताब जिन्दगी की।।

शिल्पा यादव (सर्वाधिकार सुरक्षित)

©Shilpa yadav
  
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#RaysOfHope  Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
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Shilpa yadav

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