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आँखों को झील और होठों को कमल लिख दूँ तिरे मौज-ए-तब

आँखों को झील और होठों को कमल लिख दूँ
तिरे मौज-ए-तबस्सुम पे कोई ग़ज़ल लिख दूँ

संगमरमर सा चमकदार यौवन तिरा देख कर
जी तो करता है तुम्हें आज ताजमहल लिख दूँ

मलाल तो इसी बात का है कि मिरे वश में नही
वगरना तुम्हें दूर कहाँ अपने अगल बगल लिख दूँ

मुझे देख न जाने तुम पर क्यूँ न ठहरता ये पल्लू
इसे कोई साजिस या फिर शरारती अंचल लिख दूँ

सबको लगने लगा है तुम लौट आई हो मिरे पास यहाँ
सो अब गलतफहमी मिटाने तुम्हें अपना शग़्ल लिख दूँ #yqdidi 
#yqbaba 
#dotch 
#kunal 
#kamil
आँखों को झील और होठों को कमल लिख दूँ
तिरे मौज-ए-तबस्सुम पे कोई ग़ज़ल लिख दूँ

संगमरमर सा चमकदार यौवन तिरा देख कर
जी तो करता है तुम्हें आज ताजमहल लिख दूँ

मलाल तो इसी बात का है कि मिरे वश में नही
वगरना तुम्हें दूर कहाँ अपने अगल बगल लिख दूँ

मुझे देख न जाने तुम पर क्यूँ न ठहरता ये पल्लू
इसे कोई साजिस या फिर शरारती अंचल लिख दूँ

सबको लगने लगा है तुम लौट आई हो मिरे पास यहाँ
सो अब गलतफहमी मिटाने तुम्हें अपना शग़्ल लिख दूँ #yqdidi 
#yqbaba 
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#kunal 
#kamil
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Author kunal

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