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बहारों के सपने। (पार्ट 3) घर पहुँच कर मैंने हाथ-मु

बहारों के सपने।
(पार्ट 3) घर पहुँच कर मैंने हाथ-मुँह धोये और खाने के टेबल पर बैठ गयी। मॉम ने पहले से खाना लगा दिया था। 

"तो कैसा रहा आज का दिन?"मॉम ने पूछा।

"अच्छा रहा, मॉम। आज तो मैंने बच्चों को गेम भी खिलाया। सबने एन्जॉय किया।"

रोज़ मॉम और में साथ में खाना खाते और बातें करते अपनेे दिन के बारे में। में वैसे तो उसे सब कुछ बताती थी पर आज मैंने उसे सचिन के बारे में नहीं बताया। क्योंकि वह मेरे लिये कोई ख़ास अहमियत नहीं रखता था।
बहारों के सपने।
(पार्ट 3) घर पहुँच कर मैंने हाथ-मुँह धोये और खाने के टेबल पर बैठ गयी। मॉम ने पहले से खाना लगा दिया था। 

"तो कैसा रहा आज का दिन?"मॉम ने पूछा।

"अच्छा रहा, मॉम। आज तो मैंने बच्चों को गेम भी खिलाया। सबने एन्जॉय किया।"

रोज़ मॉम और में साथ में खाना खाते और बातें करते अपनेे दिन के बारे में। में वैसे तो उसे सब कुछ बताती थी पर आज मैंने उसे सचिन के बारे में नहीं बताया। क्योंकि वह मेरे लिये कोई ख़ास अहमियत नहीं रखता था।