7वीं में फेल हो जाने के बाद उसने, किताबों को तिलांजलि दे दी और छोटी सी हीं सही, पर अपनी गृहस्थी की गाड़ी को खींच सकने लायक चाय की एक टपरी खोल ली
तीसरा पहर रहा होगा, जब मैंने अपने अलस्थ पड़े शरीर को, उसकी टपरी के बगल में सरकारी खर्चे से बने चबूतरे पर जाकर धमS से पटक दिया।
बुधुआ आँख बंद किये पर बड़ी तन्मयता से इयर फ़ोन लगाए मोबाइल पर कुछ सुन रहा था, उसके माथे को एक लय में झटकता देख समझ गया कि हो न हो यह कोई भोजपुरी गाना सुन रहा होगा, अरेरेरे! मैं तो बताना हीं भूल गया बुधुआ वही उस टपरी का कर्ता धर्ता,