न जाने कितनी दूर है वो रेथ का साहिल, न जाने किस ओर है वो लहरों की धार। हु कश्मकश मैं यहां न जाने किस ओर है, मेरी किस्मत की पतवार। जो देखा था ख्वाब उस आशियाने का, वो टूट के बह गया। होश मे तो तब आये, जब तू अंजान बनकर गुज़र गया। न जाने कितनी दूर है वो रेथ का साहिल, न जाने क्यों देखती लहरों को Sidra यहाँ। © sidrahmed #lovequotes #lonely #poem #writernetwork #Shayari #thought #Quote #await