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तुम्हारी दुनिया के बाहर अंदर भटक रहा हूँ मैं बाद-

तुम्हारी दुनिया के बाहर अंदर भटक रहा हूँ 
मैं बाद-ए-तर्क-ए-जहाँ यही पर भटक रहा हूँ 

मैं तुझ से मिलने समय से पहले पहुँच गया था 
सो तेरे घर के क़रीब आ के भटक रहा हूँ 

मैं एक ख़ाना-ब-दोश हूँ जिस का घर है दुनिया 
सो अपने काँधों पे ले के ये घर भटक रहा हूँ 

मैं हर क़दम पर सँभल सँभल कर भटकने वाला 
भटकने वालों से काफ़ी बेहतर भटक रहा हूँ Pallav Mishra

©Nojoto Shayari #Shayari #Nojoto #nojotoshayari #oneminuteshayari 

#seashore
तुम्हारी दुनिया के बाहर अंदर भटक रहा हूँ 
मैं बाद-ए-तर्क-ए-जहाँ यही पर भटक रहा हूँ 

मैं तुझ से मिलने समय से पहले पहुँच गया था 
सो तेरे घर के क़रीब आ के भटक रहा हूँ 

मैं एक ख़ाना-ब-दोश हूँ जिस का घर है दुनिया 
सो अपने काँधों पे ले के ये घर भटक रहा हूँ 

मैं हर क़दम पर सँभल सँभल कर भटकने वाला 
भटकने वालों से काफ़ी बेहतर भटक रहा हूँ Pallav Mishra

©Nojoto Shayari #Shayari #Nojoto #nojotoshayari #oneminuteshayari 

#seashore