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पा न सकने पर तुझे, संसार सूना हो गया है- विरह के आ

पा न सकने पर तुझे, संसार सूना हो गया है-
विरह के आघात से प्रिय ,
प्यार दूना हो गया।

©आलोक त्रिपाठी वह चिर मिलन की स्थिति से निराश होकर नियति के दास बन जाते हैं और अंत में रहस्य की शरण लेते हैं ।कवि का स्वप्न टूट गया है निराशा का गहन अन्धकार, नश्वर की घनीभूत भावना एवं भावुकता और आदर्शवाद को ठेस लगने से वह विरह को महत्व देने लगता है।

#Love
पा न सकने पर तुझे, संसार सूना हो गया है-
विरह के आघात से प्रिय ,
प्यार दूना हो गया।

©आलोक त्रिपाठी वह चिर मिलन की स्थिति से निराश होकर नियति के दास बन जाते हैं और अंत में रहस्य की शरण लेते हैं ।कवि का स्वप्न टूट गया है निराशा का गहन अन्धकार, नश्वर की घनीभूत भावना एवं भावुकता और आदर्शवाद को ठेस लगने से वह विरह को महत्व देने लगता है।

#Love

वह चिर मिलन की स्थिति से निराश होकर नियति के दास बन जाते हैं और अंत में रहस्य की शरण लेते हैं ।कवि का स्वप्न टूट गया है निराशा का गहन अन्धकार, नश्वर की घनीभूत भावना एवं भावुकता और आदर्शवाद को ठेस लगने से वह विरह को महत्व देने लगता है। Love #कविता