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बे अदब बे अकल गुमनाम सी हूं, कईयों के लिए मैं बड़ी

बे अदब बे अकल गुमनाम सी हूं,
कईयों के लिए मैं बड़ी आम से हूं।
बेफिजूल सी लगती हैं मेरी बातें कई को,
कईयों के लिए उनके अपने जज्बात सी हूं।
बेतुके हैं बहुतों के लिए मेरे सवाल कई,
कईयों के लिए मैं उनके हर जवाब सी हूं।
बे ख्याली में रहूं यह शौक नहीं मेरा,
पर होश में रहने के लिए मैं भी तैयारी नहीं हूं।
बे काम सी लगती हूं मैं हर लिहाज से,
क्या आप जानते हैं बहुतों के लिए मैं सिर्फ काम की हूं।
बेनकाब सी लगेगी आपको जिंदगी मेरी,
राज़ रखने में इतनी उस्ताद भी हूं।
बेशक मैं साथ नहीं रहती किसी के हमेशा
हमसफर के लिहाज से ज़रा नाकाम सी हूं।
बेवक्त सी लगती है मेरी जिंदगी मुझे।
जैसे किसी गुजरे ज़माने का दिल 
और आने वाले कल का मस्तिष्क लिए,
मैं आज मे हूं।

- विभा१४९५



 #बेवक्त 
#कविता
#हिंदी
बे अदब बे अकल गुमनाम सी हूं,
कईयों के लिए मैं बड़ी आम से हूं।
बेफिजूल सी लगती हैं मेरी बातें कई को,
कईयों के लिए उनके अपने जज्बात सी हूं।
बेतुके हैं बहुतों के लिए मेरे सवाल कई,
कईयों के लिए मैं उनके हर जवाब सी हूं।
बे ख्याली में रहूं यह शौक नहीं मेरा,
पर होश में रहने के लिए मैं भी तैयारी नहीं हूं।
बे काम सी लगती हूं मैं हर लिहाज से,
क्या आप जानते हैं बहुतों के लिए मैं सिर्फ काम की हूं।
बेनकाब सी लगेगी आपको जिंदगी मेरी,
राज़ रखने में इतनी उस्ताद भी हूं।
बेशक मैं साथ नहीं रहती किसी के हमेशा
हमसफर के लिहाज से ज़रा नाकाम सी हूं।
बेवक्त सी लगती है मेरी जिंदगी मुझे।
जैसे किसी गुजरे ज़माने का दिल 
और आने वाले कल का मस्तिष्क लिए,
मैं आज मे हूं।

- विभा१४९५



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#कविता
#हिंदी
vibhasaroj7601

Vibha Saroj

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