आलसी इंसान य़ार गा दूँगा उल्फत के गीत, बस ... थोड़ा सा रियाज तो हो .. यूं तो गज़ल कहने की बिसात भी रखता हूँ , औरों से कुछ अलग अन्दाज तो हो ... छू लूंगा इक दिन आसमां की बुलंदियां , अच्छा सा आगाज तो हो ....... मंजिल मिलना तो तय है जनाब , कोई हमनवा , हम परवाज तो हो ....... Lazy man..