कुछ दिन है घनघोर अंधेरा , नई सुबह फ़िर आएगी । चारों ओर कोहराम मचा है सुबह दोपहर शाम मचा है मृत्यु का ऐसा भीषण तांडव शहर , गली, हर ग्राम मचा है। ऐसी है विपदा अाई , सृष्टि का विध्वंश कराएगी । कुछ दिन......... आहत है सारी सरकारें। विपदा के इंसान है मारे। गुरुद्वारे, मंदिर ,मस्जिद दुनिया में मात्र एक सहारे। नारायण तुम ही आओ नहीं धरा कभी न मुस्काएगी। कुछ दिन ........... परिस्थितियों से न तुम भागो संयम, धैर्य न तुम त्यागो । आंखों से परदा हट जावे, नीद से मानव तुम जागो । छायेगा फ़िर से बसंत , डाली डाली कोयल गाएगी। कुछ दिन ........... #raginitiwari #poeatryकुछ दिन है घनघोर अंधेरा , नई सुबह फ़िर आएगी । चारों ओर कोहराम मचा है सुबह दोपहर शाम मचा है मृत्यु का ऐसा भीषण तांडव शहर , गली, हर ग्राम मचा है। ऐसी है विपदा अाई ,