"हालत-ए-शायरी" बात वो नहीं कि मेरी शायरी अब चिड़मिड़ा रही है सच तो ये है कि अब ये घबरा रही है शायरी तक गर सब खत्म हो जाता तो ठीक था पर जबसे आँखों ने ली है लब्ज़ों की जगह तबसे कलम की नीब थर्र-थर्रा रही है । #हालत-ए-शायरी बात वो नहीं कि मेरी शायरी अब चिड़मिड़ा रही है सच तो ये है कि अब ये घबरा रही है शायरी तक गर सब खत्म हो जाता तो ठीक था पर जबसे आँखों ने ली है लब्ज़ों की जगह तबसे कलम की नीब थर्र-थर्रा रही है । #MySituationIsSameAsMyShayari