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मेरे बहते हुए बेहिसाब ख्यालों को समझने वाले, काश त

मेरे बहते हुए बेहिसाब ख्यालों को समझने वाले,
काश तुम होते।

मेरे चेहरे पर आती मुस्कुराहटों पर अपना नाम पढ़ने वाले,
काश तुम होते।

मेरे घुटन भरे दिनों में आकर मुझे मनाने वाले,
काश तुम होते।

मेरी हारी हुई हिम्मतों में, मुझे संभालने वाले,
काश तुम होते।

मेरी मायूस सी, मुरझाई सी, झुकी सी, छुपाई सी, शक्ल को, अपने हाथों उठाने वाले,
काश तुम होते।

मेरी आंखों में से पिघल कर गिरते आंसुओं को, पोंछ जाने वाले,
काश तुम होते।

मेरे घबराए दिल को, गले से लगाकर, फिर मिल जाने की उम्मीद देने वाले,
काश तुम होते।

मेरी बेइंतहां सी चाहतों को, मेरी अधूरी सी कोशिशों में पूरा पढ़ जाने वाले,
काश तुम होते।

©Amit Vashisht
  मेरी शायरियों की तलाशियों में, अपना जिक्र ढूंढ लाने वाले,
काश तुम होते।

मेरी शायरियों की तलाशियों में, अपना जिक्र ढूंढ लाने वाले, काश तुम होते। #Poetry

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