अपनी ही सोच की कैद से टकरा रहा हर कोई खुद ही देता दस्तकें खुद ही दरवाज़े लगा रहा हर कोई बना लेता है दायरे अपने इर्द गिर्द इस तरह कि उन दायरों से जूझते जिंदगी बिता रहा हर कोई देतारहता है वो तोहमतें कितनी ही ज़माने को खुद से नज़रे मिलाने से कतरा रहा हर कोई अप्रत्यक्ष ,पारदर्शक कैद में होकर भी आजाद नज़र आ रहा हर कोई दूर करके खुद को हकीकतों से खुद खुद में ही खुदा हुआ जा रहा हर कोई असंतुष्ट भ्रमित सोच से होनी को अनहोनी बना रहा हर कोई..... ©Rakhee ki kalam se #इंसानी_खुदा #गलतफहमी #aazadkaidi #life #नोजोतो #Rakhee की कलम से अपनी ही सोच की कैद से टकरा रहा हर कोई खुद ही देता दस्तकें खुद ही दरवाज़े लगा रहा हर कोई