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ग़लती नहीं किसी की यह तो वक्त का खेल है, पास हो बस

ग़लती नहीं किसी की यह तो वक्त का खेल है,
पास हो बस कहने को मेरे,
पर फासले मीलों के साथ में,
चाहत बेसुमार है दरमियां,
पर कहने को बचा न कुछ शेष है,
खुद मे घुट घुट कर जी रहे,
यह तन ही बना एक जेल है,
मिलना, ना मिलना,
अब क्या कहे,
यह सब तो बस नसीबों का खेल है।

©Unbeaten_sayings
  #Galati

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