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स्त्रीत्व से पौरुष है स्त्रीत्व से ये सृष्टि क्यूं

स्त्रीत्व से पौरुष है
स्त्रीत्व से ये सृष्टि
क्यूं शर्मशार कर रहे हो
क्यूं पौरुष तुम खुद को कह रहे
सम्मान नहीं श्रद्धा का भाव है नारी
क्यूं देवी को पूजते हो 
जब तुम पौरुष ही नहीं
क्यूं इसे तुम अपने अपवित्र लहू से रंग रहे 
क्यूं तुम खुद को इंशा कह रहे 
है शर्मशार मुक पौरुष कब तुम जगोगे
कब खुद की मर्यादा को पहचानोगे
कब स्त्री में भी खुद को देखोगे 
 संवेदनशील चीत्कार रही 
है पवित्र मर्यादा पुरुषोत्तम पौरुष तुम कब 
जागृत होगे 
😓😓😓😓😓😓😓😓😓😓😓😓
(कभी कभी खुद को पुरुष कहने पे शर्मिंदगी महसूस करता हूं) 😓😓😓😓😓😓😓😓 #कभीकभी खुद को पुरुष कहने में शर्मिंदगी महसूस होती है 
#सिर्फ जस्टिस का ट्रेंड चलाने से कुछ नहीं होगा 
गंदगी तो अंदर है इसे ख़तम करना होगा 
क्या लगता है ये बलात्कारी कैसे होते कैसे बनते है आपको पता
इन्हें हम बनाते है 
किसी। चीज को जलाने के लिए 
छोटा सा चिंगारी सुलगाते है फिर धीरे धीरे वो आग का रूप ले लेती है 
अर्थात पोर्न वीडियो का इसमें अहम किरदार होता है लोग इतना मदहोश हो जाते है कि किसी रिश्ते को नहीं समझते बस डूबते जाते डूबते जाते है
स्त्रीत्व से पौरुष है
स्त्रीत्व से ये सृष्टि
क्यूं शर्मशार कर रहे हो
क्यूं पौरुष तुम खुद को कह रहे
सम्मान नहीं श्रद्धा का भाव है नारी
क्यूं देवी को पूजते हो 
जब तुम पौरुष ही नहीं
क्यूं इसे तुम अपने अपवित्र लहू से रंग रहे 
क्यूं तुम खुद को इंशा कह रहे 
है शर्मशार मुक पौरुष कब तुम जगोगे
कब खुद की मर्यादा को पहचानोगे
कब स्त्री में भी खुद को देखोगे 
 संवेदनशील चीत्कार रही 
है पवित्र मर्यादा पुरुषोत्तम पौरुष तुम कब 
जागृत होगे 
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गंदगी तो अंदर है इसे ख़तम करना होगा 
क्या लगता है ये बलात्कारी कैसे होते कैसे बनते है आपको पता
इन्हें हम बनाते है 
किसी। चीज को जलाने के लिए 
छोटा सा चिंगारी सुलगाते है फिर धीरे धीरे वो आग का रूप ले लेती है 
अर्थात पोर्न वीडियो का इसमें अहम किरदार होता है लोग इतना मदहोश हो जाते है कि किसी रिश्ते को नहीं समझते बस डूबते जाते डूबते जाते है
kunalkarn5063

Author kunal

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