आसमाँ से गुफ़्तगू करने, निकला हूँ अँधेरी रात में। है कुछ बातें मेरी ज़ेहन में, और कुछ ख़यालात में। ख़ामोश मन में उठते, इस बबंडर को शांत करना। जैसे ख़ुद को सूखा रखना हो, इस भरी बरसात में। कोई समझता है नहीं, यहाँ मेरे इन जज्बातों को। हर कोई कहता है मुझे, रहना अपनी औकात में। बेशक़ मैं हूँ गरीब इंसां, तो क्या मेरी कोई कद्र नहीं। दिखा दूँगा एक दिन मैं भी, लाया क्या हूँ सौगात में। ख़ुद को बड़ा समझने वालों, आज एक बात सुन लो। इस दुनिया में हक़ है सबका, मिली नहीं तुम्हें ख़ैरात में। ♥️ Challenge-681 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।