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जिन्दगी ने ही रंज ठानी है। या फिर तुम्हारी मेहरबा

जिन्दगी ने ही रंज ठानी है। 
या फिर तुम्हारी मेहरबानी है।।

बस वही ख्वाब ही तो टुटा है, 
कि जिन्दगी साथ में बितानी है।।

मैं खुद को कत्ल कर चुका हूं मगर,
लाश भी मुझको ही उठानी है।।

बस दो लोग मिलके बिछड़े है,
जिन्दगी भर की ये कहानी है।।

मेरे छत पर भी चाँद आता था,
बात काफी दिनों पुरानी है।।

ब-रोज-ऐ-वस्ल तुम मिलों तो सही, 
जिन्दगी..., दाव पर लगानी है।।

©🅼🆄🅺🅴🆂🅷 🅶🆄🅿🆃🅰 जिन्दगी ने ही रंज ठानी है। 
या फिर तुम्हारी मेहरबानी है।।
#lost
जिन्दगी ने ही रंज ठानी है। 
या फिर तुम्हारी मेहरबानी है।।

बस वही ख्वाब ही तो टुटा है, 
कि जिन्दगी साथ में बितानी है।।

मैं खुद को कत्ल कर चुका हूं मगर,
लाश भी मुझको ही उठानी है।।

बस दो लोग मिलके बिछड़े है,
जिन्दगी भर की ये कहानी है।।

मेरे छत पर भी चाँद आता था,
बात काफी दिनों पुरानी है।।

ब-रोज-ऐ-वस्ल तुम मिलों तो सही, 
जिन्दगी..., दाव पर लगानी है।।

©🅼🆄🅺🅴🆂🅷 🅶🆄🅿🆃🅰 जिन्दगी ने ही रंज ठानी है। 
या फिर तुम्हारी मेहरबानी है।।
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