जो तुम्हरी बे तुकी बातों को शायरी का नाम दे तुम क्या दुनिया को पागिल समझते हो। ज़रा सा ईलम नही तुझे शायरी का । तुम खुद को शायरी के काबिल समझते हो। चलो ''विन्दर''माना चन्द लाइने लिख लेते हो कागज पर। तो क्या इस से तुम खुद को ग़ालिब समझते हो । ✍ kulwinder khetla ©KULWINDER SINGH khetla #kulwinder_khetla