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"या कस्यो ज़मानों आग्यो" " गाबां धौवणरी मशीन, रोटी

"या कस्यो ज़मानों आग्यो"
" गाबां धौवणरी मशीन, रोटी पोवणरी मशीन मशीनांसूं सगल़ा काम होबांनै लाग्या 
चार पांव पगां चालबौं भूलग्या 
गाड़ी घोड़ा रो सौख लाग्यो 
कर्जा मैं चाहे कंठा तक डूबग्या 
सगल़ी बीमारी रा मरीज़ होग्या 
शरमरी बात आज डॉक्टर पगां चालबौं
आलथी पालथी बैठबौं सिखावण लाग्या 
अब म्हारो तो था सूं या ही खैबौं छै 
बड़ा बूढ़ा रै सागै वास करो
 टाबर गुणी हो जावैगा
 प़ेम भाव घणौ बढ़सी 
टाबरां रो बचपन,लोग लुगाई री जवानी 
अर बुढ़ापौ चौखौ कटसी
सगल़ौ जीवण सुख सूं बीतसी।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat
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