रे बेकाबू मनुष्य! तू किसे काबू करना चाहता है? येन - केन - प्रकारेण तू जीना नहीं चाहता जीते हुए दिखना ही तेरा शौक है! तू मुझे क्या काबू करेगा मैं ही मिटा दूँगी तुझे मैं धरती, मैं प्रकृति, मैं आँधी, मैं तूफान बस कुछ और दिन तेरे पाप का घड़ा भरने ही वाला है तुझे जीने का हक नहीं अब तू मरने ही वाला है सबसे बुद्धिमान बनाया था तुझे पर तेरी बुद्धि का दिवाला तो तूने ही निकाला है समा नहीं रही तेरे भीतर तेरी साँसे बात समझता ही नहीं तू अपनी माँ की, अपनी माँ से थक गई हूँ तेरी ज्यादतियाँ देखते - देखते अब बर्दाश्त नहीं तेरी हैवानियत इतना जड़बुद्धि हो जायेगा तू ऎसा तो सोचा ही नहीं था मैंने p #बेकाबू मनुष्य #कॉरोंना #तूफान #03. 06.20