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ना ओढ़ना है ना बिछौना है और ना घर ना मकान। जर्जर त

ना ओढ़ना है ना बिछौना है और ना घर ना मकान।
जर्जर तन में सिर्फ जान है,यही जीवन का सामान।
तन ढकने को पहन रखा,बस फटा पुराना लिबास।
लावारिस है साहेब फुटपाथों पर ही इनका जहान।
JP lodhi 17/12/2022

©J P Lodhi.
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