हर वक़्त ख़्यालों में ही रहती हो तुम अगरचे सारे शहर में हैं तुम्हारे चर्चे। आख़िर कोई रास्ता तो होगा 'अनाम' कि तेरे दिल तक हमारी बात पहुँचे। उस तक बात हमारी पहुँचे... #उसतकबातपहुँचे #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi पत्थर, पत्थर होने से पहले नर्म मिट्टी ही था, फिर निरंतर ताप और दबाव ने उसे पत्थर बना दिया। किन्तु यह पत्थर अब प्रेम की शीतल धार में मृदु होना चाहता है, बशर्ते यह शीतल धारा अनवरत प्रवाहित रहे। पर उसे लगता है कि यदि वह मृदु हुआ तो टूट कर बिखर न जाये, जिसका कोई मूल्य न होगा! बिखरने के बावजूद जल धारा को गंदला ही तो करेगा। इसलिए जैसे भी है शांत है, और शांत रहेगा। यह शांति कितनी मृदुल, कितनी प्रेमिल और कितनी निश्छल है। बस तुम अपनी प्रेमिल धारा में बहती जाओ। धारा तले जो शांति है वही उसका प्राप्य है।