आने पर मेरे बिजली-सी कौंधी सिर्फ तुम्हारे दृग में लगता है जाने पर मेरे सबसे अधिक तुम्हीं रोओगे ! मैं आया तो चारण-जैसा गाने लगा तुम्हारा आंगन; हंसता द्वार, चहकती ड्योढ़ी तुम चुपचाप खड़े किस कारण ? मुझको द्वारे तक पहुंचाने सब तो आये, तुम्हीं न आए, लगता है एकाकी पथ पर मेरे साथ तुम्हीं होओगे! मौन तुम्हारा प्रश्न चिन्ह है, पूछ रहे शायद कैसा हूं कुछ कुछ बादल के जैसा हूं; मेरा गीत सुन सब जागे, तुमको जैसे नींद आ गई, लगता मौन प्रतीक्षा में तुम सारी रात नहीं सोओगे! तुमने मुझे अदेखा कर के संबंधों की बात खोल दी; सुख के सूरज की आंखों में काली काली रात घोल दी; कल को गर मेरे आंसू की मंदिर में पड़ गई ज़रूरत लगता है आंचल को अपने सबसे अधिक तुम ही धोओगे! परिचय से पहले ही, बोलो, उलझे किस ताने बाने में ? तुम शायद पथ देख रहे थे, मुझको देर हुई आने में; जगभर ने आशीष पठाए, तुमने कोई शब्द न भेजा, लगता है तुम मन की बगिया में गीतों का बिरवा बोओगे! रामावतार त्यागी का जन्म मुरादाबाद जिले के कुरकावली ग्राम में ब्राह्मण परिवार में हुआ। घर की रूढिवादिता से विद्रोह कर त्यागी ने अत्यंत विषम परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त की। अंत में दिल्ली आकर इन्होंने वियोगी हरि और महावीर अधिकारी के साथ सम्पादन कार्य किया। त्यागी पीडा के कवि हैं। इनकी शब्द-योजना सरल तथा अनुभूति गहरी है। 'नया खून तथा 'आठवां स्वर इनके कविता संग्रह हैं। 'आठवां स्वर पुस्तक पुरस्कृत है।