दिल की हक़ीकत लिखते कहां है टूटे न जब तक बिखरते कहां है.. ख़ुद को समेटे है ख़ुद के ही अंदर ख़ुद से भी बाहर निकलते कहां है.. तुम्हें आईना हम बना ही चुके है देखे बिना हम संवरते कहां है.. थोड़े से ज़िद्दी थोड़े से पागल हम जैसे शायर मिलते कहां है.. बिछड़े जो तुमसे बिछड़ने न देना बिछड़ते हैं जो वो मिलते कहां है.. ©Rihan khan #dilkibaat गीत बस एक ख़्याल