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(guilt) शीशे के खिलौने,,हाथो में लेकर तोड़ देता

(guilt)

 शीशे के खिलौने,,हाथो में लेकर तोड़ देता हूं,,कांच के पैकरों को भी कब कहां ठीक छोड़ देता हूं,,तेरी ही तलब में ,,मैं अपनी आदत बिगाड़ रहा हूं।।
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अब के साल मिट्टी में ही दफन रह गए ,,मेरे आंगन में उगने वाले डेलिये के वो पौधे,,जिंदगी के बागीचे से मैं अपनी ,,रूहानियत बिगाड़  रहा हूं।।
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खुद के साए की रफाकत मुझे एक बेहशी में तब्दील कर रही है,,अंधेरों से मुहोबत में मैं अपनी ,, सख्शियत बिगाड़ रहा हूं।।
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हैरान है सारा आलम ,,कैसे मैं अपने ही खून से लिखे खतों को चाट जाता हूं,, इस जख्मों के जायके में मैं अपनी ,, आदत बिगाड़ रहा हूं ।।
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अपनी हार का जशन मैं हंसकर मनाया करता हूं अक्सर ,,बंद बोतल के दरिया में डुबकियां लगाकर ,,मैं अपनी ,,हालत बिगाड़ रहा हूं।।
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तेरे जाने के बाद ,,,आईने से नफरत को बरकरार रखा है मैने ,,खुद को भी पहचान न पाऊं इक दिन ,,कुछ इस तरह से अपनी सूरत बिगाड़ रहा हूं।।
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बात तेरी वफ़ा से शुरू मेरे फरेब पर आकर खतम होती है अक्सर ,,शराब को करके सजदा अपने लिए सारी कयामत बिगाड़ रहा हूं।
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©#शुन्य राणा #शराब Sircastic Saurabh shraddha PRIYANKA GUPTA(gudiya) M.k.kanaujiya Aj stories
(guilt)

 शीशे के खिलौने,,हाथो में लेकर तोड़ देता हूं,,कांच के पैकरों को भी कब कहां ठीक छोड़ देता हूं,,तेरी ही तलब में ,,मैं अपनी आदत बिगाड़ रहा हूं।।
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अब के साल मिट्टी में ही दफन रह गए ,,मेरे आंगन में उगने वाले डेलिये के वो पौधे,,जिंदगी के बागीचे से मैं अपनी ,,रूहानियत बिगाड़  रहा हूं।।
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खुद के साए की रफाकत मुझे एक बेहशी में तब्दील कर रही है,,अंधेरों से मुहोबत में मैं अपनी ,, सख्शियत बिगाड़ रहा हूं।।
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हैरान है सारा आलम ,,कैसे मैं अपने ही खून से लिखे खतों को चाट जाता हूं,, इस जख्मों के जायके में मैं अपनी ,, आदत बिगाड़ रहा हूं ।।
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अपनी हार का जशन मैं हंसकर मनाया करता हूं अक्सर ,,बंद बोतल के दरिया में डुबकियां लगाकर ,,मैं अपनी ,,हालत बिगाड़ रहा हूं।।
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तेरे जाने के बाद ,,,आईने से नफरत को बरकरार रखा है मैने ,,खुद को भी पहचान न पाऊं इक दिन ,,कुछ इस तरह से अपनी सूरत बिगाड़ रहा हूं।।
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बात तेरी वफ़ा से शुरू मेरे फरेब पर आकर खतम होती है अक्सर ,,शराब को करके सजदा अपने लिए सारी कयामत बिगाड़ रहा हूं।
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©#शुन्य राणा #शराब Sircastic Saurabh shraddha PRIYANKA GUPTA(gudiya) M.k.kanaujiya Aj stories