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एक अरसा हो गया है, तेरी खामोसी, और मेरी तनहाई को,

एक अरसा हो गया है, तेरी खामोसी, और मेरी तनहाई को, बात किये हुए। 
एक उम्र सी गुजरी जा रही है, बिना तेरी जुल्फों पे, मेरी उंगलियों को फेरे हुए।। 

तेरी बातें याद करके, यूहि अचानक, हस्ते-हस्ते रोने लगता हुँ मैं। 
कि तु कहती थी, तु पुकारेगा, और चली आउगी मैं, उसी आसमानी सूट मे, वही दो चोटी बाधे हुए।। 

तुझे आना तो होगा, तु ऐसे नहीं जा सकती, बिना कुछ बोले, बिना कुछ सुने, कफन मे लपते हुए।। #shivamdubey
#urdushayri
#poetry
एक अरसा हो गया है, तेरी खामोसी, और मेरी तनहाई को, बात किये हुए। 
एक उम्र सी गुजरी जा रही है, बिना तेरी जुल्फों पे, मेरी उंगलियों को फेरे हुए।। 

तेरी बातें याद करके, यूहि अचानक, हस्ते-हस्ते रोने लगता हुँ मैं। 
कि तु कहती थी, तु पुकारेगा, और चली आउगी मैं, उसी आसमानी सूट मे, वही दो चोटी बाधे हुए।। 

तुझे आना तो होगा, तु ऐसे नहीं जा सकती, बिना कुछ बोले, बिना कुछ सुने, कफन मे लपते हुए।। #shivamdubey
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shivam dubey

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