शर्म नही बताओं उम्र में तुम बड़े अनुभव में तुम बड़े फिर भी होड़ लगाए बैठे हो मैं अव्वल और मैं अव्वल दिखा क्या रहे हो? औकात में तुम बड़े होते तो होड़ नही लगाते संस्कार में तुम बड़े होते तो होड़ नही लगाते जता क्या रहे हो? जब सब ज्यादा होता है ना और कद्र ना हो तो सबसे पहले खुदा छीनता ही है तो फिर मुझसे किस चीज की होड़ लगाए बैठे हो? जीत गए हो तुम बाहर से सब कुछ बस जो हारा है वो खुद की वजह से हरा है और उसका इल्जाम दूसरो पर लगाने में लगे हो थम जाए मत करो होड़ कोई प्रतियोगिता नही चल रही है की लोग आएंगे अव्वल आने का मेडल डाल कर जायेंगे। ©Nikhat Saifi #होड़