दूर खड़ा क्या निहारते हो पास आके देख तो ले होती हैं क्या मोहब्बत कभी आज़माकर देख तो ले बेपनाह चाहत जो कभी तेरे लिए थी इस दिल में एक दफ़ा मेरे दिल से पूछ तो ले दरिया के किनारे क्या निहारते हो कभी उतरकर गहराई देख तो ले दरिया