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मैं सोया आधा , आधा जागा रहा करवटो को बदलते हुए, चा

मैं सोया आधा , आधा जागा रहा
करवटो को बदलते हुए, चांद को चलते हुए 
कभी तारों से मिलते हुए,कभी उनसे बिछड़ते हुए 
मैं उसको देखता रहा 
रात भर इक चांद का साया रहा

शान से चलने की फितरत है उसकी 
अपने सौंदर्य से लुभाते हुए, प्रेम रस में डुबाते हुए 
कभी बादलों मैं छिपते हुए,कभी उनसे निकलते हुए 
मैं उसको देखता रहा 
रात भर इक चांद का साया रहा 

हर तरफ देखता रहा ,हर जगह देखता रहा 
कहीं मिलते हुए, कही बिछड़ते हुए 
मेरे मन मैं उस चांद का ज़िक्र आता रहा 
जिसकी फिक्र सदा मैं करता रहा 
रात भर इक चांद का साया रहा💕✍️
🌚🌝

©Virendra Yadav
  rat bhar इक चांद ka saya rha 
Nature love 💕#सेल्फ care for 
यूनिकनेस is the real thing

rat bhar इक चांद ka saya rha Nature love 💕सेल्फ care for यूनिकनेस is the real thing #कविता

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