एक अरसे से कितने ख़त, तुझे लिखे मैंने मौला, कितनी दफ़ा इन स्याहियों से, कागज़ को रँगा मैंने, जवाबों के लिए तेरे , कितनी राते जगी मौला, कितनी दफ़ा मिलने को, अर्ज़ी अपनी लगाई मैंने, मंदिरो,मस्जिदों में , कितनी चादरें चढ़ाई मौला, एक अरसे से कितने ख़त, तुझे लिखे मैने मौला, #nojoto#poem#for#searching#god#in#peace