!!जो कहती थी तुम सब कुछ हो मेरे वो रातो को मेरे जागने पे भी सोई थी ! एक मेरी माँ जो पूरे दिन थक कर भी मेरे इंतेजार मैं रोई थी ! जो कहती थी जान हो मेरे तुम वो तो खुद बेजांन निकली , जिसने कुछ ना कहा वो खुद सुबह की अजांन निकली (माँ )! क्या नकली आंसुओं पर हम मर गए ,चलो देर से ही सही थक हार कर हम घर गए !! (Dedicated To all moms) !! सौरभ राघव !! ©Saurabh Raghav #Poetry #Nature