सूरत ए हाल.... वो मतवाली... हिरणी जैसी...चाल कानो पे....बलखाते वो लटो वाले....बाल हाय रे... मैं क्या करू ? माथे बिंदियाँ... गले...सजा है...हार वो....अधरों पे बहार गाये गीत...मल्हार हाय रे....मैं क्या करूँ ? नैनन घेरे....सवाल वो...सुकोमल साबुन जैसे....गाल दिल-ए-हाल.... जिगर-बवाल... हाय रे...मैं क्या करूँ ? भौंहे...भृकुटि वो...चुनरी का एहसास खुद को छुपाऊं मैं कर कर उसके...पास हाय रे....मैं क्या करूँ ? लम्बी अंगुलियां वो... कसकर...पकड़े हाथ रात ढले तो...दिन बहे दिन ढले तो...रात कैसे रोकूँ...अब....जज़्बात हाय रे....मैं क्या करूँ ?? ©Raj choudhary "कुलरिया" #हाय_रे_मैं_क्या_करूँ सूरत ए हाल.... वो मतवाली... हिरणी जैसी...चाल कानो पे....बलखाते वो लटो वाले....बाल हाय रे...मैं क्या करू ?