कृष्ण दर्शन की अभिलाषी हूँ, उनके चरणों की मैं दासी हूँ। वृन्दावन की ओर चली, दृश्य बड़ा मनभावन था सखियाँ संग मैं बैठ गई प्रेम मंदिर के आँगन में कर जोड़ अभिन्नदन की, श्याम तेरी वर्णन में। तू शक्तिवान मैं शक्तिहीन हूँ तू ज्ञानवान मैं ज्ञानहीन हूँ। हे प्रभु! मेरी याचना पूरी कर दे, अज्ञानी हूँ ज्ञान भर दे। #janmastami